Rajinder singh rahelu information in marathi wooden

22 जुलाई, 1973 को जन्मे राजिंदर को 8 महीने की उम्र में ही पोलियो हो गया था| उनका बचपन गरीबी और विकलांगता से लड़ने में बीता, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी|

सन् 1996 में उन्होंने अपने मित्र से प्रेरणा लेकर वेट लिफ्टिंग में करियर बनाने की सोची| वे प्रैक्टिस करने के लिए ट्राई-साईकिल पर जाते थे और जहाँ ट्राई-साइकिल नहीं ले जा सकते थे वहां वे अपने हाथों से चलकर जाते थे|

कई मुसीबतें आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और बहुत जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना ली|

Rajinder अपनी मेहनत से पॉवर लिफ्टिंग में कामयाब होते गए| सन् 2004 में उन्होंने 56 किलोग्राम वर्ग में एथेंस पैराओलिंपिक खेलों में कांस्य पदक जीता|

उन्होंने 2008 और 2012 पैरओलिंपिक खेलों में पॉवर लिफ्टिंग खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया| 2012 पैराओलिंपिक खेलों में वे 175 किलोग्राम वजन उठाने में अपने तीनों प्रयासों में चूक गए लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी|

उन्होंने 2014 कॉमनवेल्थ खेलों में शानदार प्रदर्शन करके 185 किलोग्राम वजन उठाकर में रजत पदक अपने नाम किया और आज वे युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है|

आज वे एक कोच के रूप में युवाओं एंव असक्षम बच्चों को ट्रेनिंग देते है|

वे एक सच्चे हीरो है| उनके जैसे लोग हमारे लिए हर रोज एक नई आशा की किरण लेकर आते है जो यह साबित करती है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती|

Rajinder Singh Rahelu जैसे लोगों ने यह साबित किया है कि “असंभव कुछ भी नहीं – Nothing is Impossible”

जीवन में नामुनकिन कुछ भी नहीं| हम वो सब कर सकते है, जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है, जो आज तक हमने नहीं सोचा|

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